आज ना रौशनियों की टिमटिमाहट आँखों में पड़ी ,
और ना ही किसी ऑटो वाले की किट-किटाहट सुनने को मिली ,
क्यूंकि आज ज़िन्दगी बड़ी इत्मिनान सी कटी।
आज ना ही मेट्रो की भीड़ एक सैलाब सी लगी,
और ना ही सब्जी वाले की चिल्लाहट कानो में पड़ी ,
क्यूंकि आज ज़िन्दगी बड़ी इत्मिनान सी कटी।
हां आज मेरी तकरार हुई परेशानियों से , पर वो मुझे रोक ना सकी ,
मेरे गमो ने मेरे खुशियों के कद को झुकाने की नापाक कोशिश की, पर असफल रही ,
क्यूंकि आज ज़िन्दगी बड़ी इत्मिनान सी कटी।